Monday, April 11, 2022

Learn Sanskrit – Video Class – 58/120 - रोचते - नमः - स्वस्ति - कुप्यति - क्रुध्यति - चतुर्थी विभक्ति प्रयोग (Rochte - Namah - Svsti - Kupyati - Krudhyati Chaturthi vibhakti priyog)

चतुर्थी विभक्ति रोचते प्रयोग | 

चतुर्थी विभक्ति रोचते प्रयोग |

मह्यम् फलं रोचते | = मुझे फल पसंद है | 
सैनिकः युद्धं रोचते | = सैनिक को युद्ध पसंद है | 
मम् पुत्रेय् निद्रा रोचते | = मेरे बेटे को नींद पसंद है | 
उतम् छात्रेभ्य् पाठनं रोचते | = अच्छा विद्यार्थी को पाठ पसंद है | 
रामाय आम फलं रोचते | = राम को आम फल पसंद है | 
महिलाभ्य आभरणं रोचते | = महिलायो को आभरणं पसंद है | 

चतुर्थी विभक्ति नमः प्रयोग भवति | 

चतुर्थी विभक्ति नमः प्रयोग भवति |

अहं रामाय नमः | = मै राम को नमस्कार करता हु | 
अहं कृष्णाय नमः | = मै कृष्णा को नमस्कार करता हु | 
शिव भक्ताः शिवाय नमः | = शिव भक्त शिव को नमस्कार करता है | 
गोबिन्दाय नमः | = गोबिन्द को नमस्कार करता है | 
गणेशाय नमः | = गणेश को नमस्कार करता है | 
शिवाय नमः | = शिव को नमस्कार करता है | 
दुर्गयाय् नमः | = दुर्गा को नमस्कार करता है | 
लक्षमियेय नमः | = लक्ष्मी को नमस्कार करता है | 
शर्धायाय नमः | = शर्धा को नमस्कार करता है | 
विश्वेय नमः | = विष्णु को नमस्कार करता है | 

श्लोकं 
(1) 'ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।'

(2) 'ॐ रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे। रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः।।

(3) 'ॐ नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय

भस्माङ्गरागाय महेश्वराय

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय

तस्मै नकाराय नमः शिवाय


मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय

नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय

मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय

तस्मै मकाराय नमः शिवाय


शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा

सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय

श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय

तस्मै शिकाराय नमः शिवाय


वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय

चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय

तस्मै वकाराय नमः शिवाय


यज्ञस्वरूपाय जटाधराय

पिनाकहस्ताय सनातनाय

दिव्याय देवाय दिगम्बराय

तस्मै यकाराय नमः शिवाय


पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ

शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते


अर्थ


वे जिनके पास साँपों का राजा उनकी माला के रूप में है, और जिनकी तीन आँखें हैं,

जिनके शरीर पर पवित्र राख मली हुई है और जो महान प्रभु है,

वे जो शाश्वत है, जो पूर्ण पवित्र हैं और चारों दिशाओं को

जो अपने वस्त्रों के रूप में धारण करते हैं,

उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांशद्वारा दर्शाया गया है


वे जिनकी पूजा मंदाकिनी नदी के जल से होती है और चंदन का लेप लगाया जाता है,

वे जो नंदी के और भूतों-पिशाचों के स्वामी हैं, महान भगवान,

वे जो मंदार और कई अन्य फूलों के साथ पूजे जाते हैं,

उस शिव को प्रणाम, जिन्हें शब्दांशद्वारा दर्शाया गया है


वे जो शुभ है और जो नए उगते सूरज की तरह है, जिनसे गौरी का चेहरा खिल उठता है,

वे जो दक्ष के यज्ञ के संहारक हैं,

वे जिनका कंठ नीला है, और जिनके प्रतीक के रूप में बैल है,

उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांशशिद्वारा दर्शाया गया है


वे जो श्रेष्ठ और सबसे सम्मानित संतोंवशिष्ट, अगस्त्य और गौतम, और देवताओं द्वारा भी पूजित है, और जो ब्रह्मांड का मुकुट हैं,

वे जिनकी चंद्रमा, सूर्य और अग्नि तीन आंखें हों,

उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांशवाद्वारा दर्शाया गया है


वे जो यज्ञ (बलिदान) का अवतार है और जिनकी जटाएँ हैं,

जिनके हाथ में त्रिशूल है और जो शाश्वत हैं,
वे जो दिव्य हैं, जो चमकीला हैं, और चारों दिशाएँ जिनके वस्त्र हैं,
उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांशद्वारा दर्शाया गया है

जो शिव के समीप इस पंचाक्षर का पाठ करते हैं,
वे शिव के निवास को प्राप्त करेंगे और आनंद लेंगे।

चतुर्थी विभक्ति स्वस्ति प्रयोग भवति | 

चतुर्थी विभक्ति स्वस्ति प्रयोग भवति |

रामाय स्वस्ति | = राम का भला हो | 

प्रजाभ्य स्वस्ति | = प्रजा का भला हो | 
गिरिशाय स्वस्ति | = गिरिशा का भला हो | 
नितियाय स्वस्ति | = नीतिया का भला हो | 
अर्जुनेय् स्वस्ति | = अर्जुन का भला हो | 
मित्रेभ्य स्वस्ति | = दोस्त का भला हो | 
सोयताय स्वस्ति | = सोयता का भला हो | 
सर्वय स्वस्ति | = सबका भला हो | 

कुप्यति - क्रुध्यति = गुस्सा होना | - क्रोधित होना | 

कुप्यति - क्रुध्यति = गुस्सा होना | - क्रोधित होना |

भीम: दुर्योधनाय कुप्यति | = भीम दुर्योधन पर गुस्सा होता है | 
रामः रावणाय कुप्यति | = राम रावण पर गुस्सा होता है |  
सुरेश शंकराय क्रुध्यति | = सुरेश शंकर पर क्रोधित होता है | 
अध्यपक: छात्राय क्रुध्यति | = शिक्षक विद्यार्थी पर क्रोधित होता है | 
केशव: कृष्णाय क्रुध्यति | = केशव कृष्णा पर क्रोधित होता है | 
अर्जुन: शंकराय कुप्यति | = अर्जुन शंकर पर गुस्सा होता है | 
सुनील सुरेशाय कुप्यति | = सुनील सुरेश पर गुस्सा होता है | 
मोहन: विजयाय कुप्यति | =  मोहन विजय पर गुस्सा होता है | 
राजेश: मोहनाय कुप्यति | = राजेश मोहन पर गुस्सा होता है | 
मोहन: विजयाय क्रुध्यति | = मोहन विजय पर क्रोधित होता है | 
राजेश: मोहनाय क्रुध्यति | = राजेश मोहन पर क्रोधित होता है | 
मोहन: संजिवाय न कुप्यति | = मोहन संजीव पर नहीं गुस्सा होता है | 
मोहन: मनोजाय न कुप्यति | = मोहन मनोज पर नहीं गुस्सा होता है | 
राजेश: विजयाय न क्रुध्यति | = राजेश विजय पर नहीं क्रोधित होता है | 
मोहन: मनोजाय न क्रुध्यति | = मोहन मनोज पर नहीं क्रोधित होता है | 
लक्षमण: रामाय न कुप्यति | = लक्ष्मण राम पर नहीं गुस्सा होता है | 
कृष्णाय अर्जुनाय न कुप्यति | = कृष्णा अर्जुन नहीं गुस्सा होता है | 

In this post we are discussing how to use Rochte, Namah, Svsti, Kupyati, Krudhyati Chaturthi vibhakti priyog, Varna etc. This one is an video classes by just watching videos you can learn to speak in Sanskrit language without any difficulty 

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