संस्कृत अध्ययन का उद्देश्य |
श्री गणेशाय नमः।
तस्मै पाणिनये नमः।
येनाक्षरसमाम्नायमधिगम्य महेश्वरात् ।
कृत्स्नं व्याकरणं प्रोक्तं तस्मै पाणिनये नमः॥
येन धौता गिरः पुंसां विमलैः शब्द वारिभिः ।
तमश्चाज्ञानजं भिन्नं तस्मै पाणिनये नमः॥
वाक्यकारं वररूचिं भाष्यकारं पतञ्जलिम् ।
पाणिनिं सूत्रकारञ्च प्रणतोस्मि मुनित्रयम् ॥
हजारों वर्षों से संचित भारतीय ज्ञान संस्कृत भाषा में ही सुरक्षित है । विश्व की प्राचीनतम कृति वेद, उनकी व्याख्या के रूप में ब्राह्मणग्रन्थ और उपनिषद्, 'दर्शन' पर गहन चिंतन, अद्भुत वैज्ञानिक ढंग से रचित महर्षि पाणिनि की अष्टाध्यायी, व्याकरण जैसे विषय पर सरस भाषा में लिखा गया प्रौढ़ ग्रन्थ महर्षि पतञ्जलि का महाभाष्य संस्कृत में ही उपलब्ध है ।महर्षि सायन ने वेद के शब्दों के कोश 'निघंटु' की व्याकरण सम्मत व्याख्या 'निरुक्त' लिखा । संस्कृत में शब्दकोश की यह दीर्घ परंपरा 'अमरकोश' , ' विश्वकोश' आदि के रूप में आज भी चली आ रही है । रामायण, महाभारत, पुराण, कालिदास आदि के काव्य एवं नाटक जैसे रघुवंश, अभिज्ञानशाकुंतलम् आदि वाणभट्ट आदि के हर्षचरित , कादम्बरी आदि गद्यकाव्य संस्कृत में हैं । भरतमुनि का 'नाट्यशास्त्र' साहित्यशास्त्र का सर्वप्रथम ग्रंथ है । भामह से पंडितराज जगन्नाथ तक साहित्यशास्त्र की यह धारा संस्कृत में प्रवाहित होती रही है ।
विश्व में आर्यभट्ट ने सबसे पहले घोषणा की कि पृथ्वी स्थिर प्रतीत होती है किंतु यह स्थिर नहीं है । ज्योतिषशास्त्र एवं गणित विषयों में 'आर्यभटीयम्' सूर्य सिद्धान्त, लीलावती, वृहद्संहिता आदि ग्रंथो की प्राचीन परंपरा है और आधुनिक समय में भी पं सुधाकर द्विवेदी जैसे विद्वानो ने गणित विषय पर संस्कृत में पुस्तकों की रचना की है । महर्षि चरक, सुश्रुत आदि ने आयुर्वेद ग्रंथों की रचना की । संस्कृत भाषा सीखकर इन विषयों में से जिसमे रूचि हो उसका गहन अध्ययन किया जा सकता है ।
(Indian knowledge accumulated over thousands of years is preserved only in Sanskrit language. The world's oldest work, the Vedas, the Brahmana texts and Upanishads in the form of their interpretation, deep contemplation on 'philosophy', the Ashtadhyayi of Maharishi Panini, composed in a wonderful scientific manner, the Mahabhashya of Maharishi Patanjali, written in succulent language on a subject like grammar, is in Sanskrit itself. Available. This long tradition of dictionary in Sanskrit is going on even today in the form of 'Amarkosha', 'Encyclopedia' etc. Poems and plays of Ramayana, Mahabharata, Puranas, Kalidas etc. like Raghuvansh, Abhijnanshakuntalam etc. Harshacharita, Kadambari etc. Prose are in Sanskrit. Bharatmuni's 'Natyashastra' is the first book of literature. From Bhamah to Panditraj Jagannath, this stream of literature has been flowing in Sanskrit.
Aryabhatta was the first to announce in the world that the earth appears to be stable but it is not stable. In the subjects of astrology and mathematics, 'Aryabhatiyam' is an ancient tradition of books like Surya Siddhanta, Lilavati, Brihadsamhita etc. Maharishi Charak, Sushruta etc. composed Ayurveda texts. By learning Sanskrit language, out of these subjects in which one is interested, it can be studied deeply.)
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